जब भी हम किसी यात्रा पर जाना चाहते है तो सबसे पहला सवाल होता है,क्या साथ ले क्या छोड़े क्योंकि ज्यादा सामान ज़्यादा परेशानी।

कई बार हमने देखा है की हम अपने साथ ज़्यादा सामान ले जाते है विशेषकर कपडे  और बाद मे वे बिना पहने ही वापिस भी आ जाते है,शुरुआत में मेरे  साथ भी ऐसा कई बार हुआ है,शायद आपके भी, है ना ???

यहाँ पर  प्रयास किया गया है उन महानुभावो के लिए जो यात्रा पर अपना खाना खुद ही बनाना पसंद करते है ठीक मेरी तरह,अब चाहे भले ही आशिंकरूप से यानि बनाने वाले को अपने हिसाब से सलाह देकर या अपनी  तरफ से कुछ अलग सामान देकर अपने खाने में  डलवा कर  भागीदार ही क्यों ना  बनाना पड़े।

हम जब भी कोई व्यंजन बनाते है तो सबसे पहले तेल या घी डालते है फिर आगे का कार्यक्रम।  यहां पर हम तेल को छोड़ देते है क्योंकि जितना घी हमारे लिए अच्छा है, रिफाइंड तेल उतना ही हानिकारक है।

सरसो या तिल का तेल खाने के लिए उपयुक्त है परन्तु कुछ विशेष व्यंजन इनसे अच्छे बनते है जैसे सुखी सब्ज़ियों में  सरसो का तेल प्रयोग करने से उनका स्वाद कई गुना बढ़ जाता है ठीक  इसी  तरह तिल के तेल से मीठे पकवानो का। 

सरसो या तिल के तेल के बारे में  फिर कभी चर्चा करेंगे,अभी जान लेते है घी और उसके हमारे शरीर पर पड़ने वाले अच्छे प्रभाव—-

कहते है  “घी उधार  लेना पड़े तो भी खाओ” इसी  एक वाक्य में इसका सार छुपा है कि यह हमारी सेहत के लिए कितना अच्छा है। 

वाँग्बट्ट ऋषि ने अपने लिखे अष्टांगह्रदय ग्रन्थ में भी ‘घी को  विश्व की सर्वश्रेष्ठ दवा बताया है’। उन्होंने लिखा है आप किसी भी बीमारी से परेशान हो या  जीवन की किसी भी अवस्था में हो घी आपकी समस्या का समाधान करेगा ही।

आप चाहे मोटापे से परेशान ही क्यों न हो,शायद ये बात विचित्र लगे पर सत्य ही है आप घी खाकर पतले रह सकते है जरूरत है सही समझ और उचित  मात्रा को जानने की।  इसमें अच्छा कोलेस्ट्रॉल होता है।

इसके अलावा ओमेगा ३ होने के कारण यह दिमाग के लिए भी ज़बरदस्त टॉनिक है,क्योंकि हमारा दिमाग चिकनी चीजों से बना है।  (शायद इसीलिए यह चिकनी चुपड़ी बातो में आ जाता है )

  • जिन लोगो का पाचन ठीक नहीं रहता उनके लिए घी बहुत अच्छा है,यह पेट को शीतलता देकर शांत रखता है और सौ रोगो की एक जड़ ‘कब्ज़’ को मिटाता है।
  • बच्चो को यदि दूध की बजाय घी का ठीक मात्रा में सेवन करवाया जाये तो यह  उनके विकास के लिए बहुत ही अच्छा साबित होता है, उनकी बुद्धि तेज़ होती है।
  • घी खाने से शरीर की त्वचा कोमल होती है,चेहरे पर चमक आती है।
  • घी के सेवन से आवाज मधुर होती है।
  • वात और पित्त से होने वाली १६० बीमारियाँ घी के सेवन से ठीक हो जाती है।
  • खाने को शुद्ध बनाने में भी घी अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य करता है,क्योंकि हम जानते है की फसल की ज्यादा  पैदावार लेने के लिए बहुत सारे कीटनाशको का प्रयोग किया जाता है जिससे यह अनाज  विषैले हो जाते  है, इसके अलावा सौंदर्य उत्पादकों में भी काफी रसायन होते है जो शरीर में प्रवेश कर जाते है,घी इन सभी प्रकार के विषों का नाश करता है। 
  • महिलाओ के सभी रोगो विशेषकर गुप्त रोगो में घी अत्यंत महत्वपूर्ण है। 
  • भारत में गर्भावस्ता और बच्चे के जन्म के बाद घी का अधिक  मात्रा में सेवन करने का प्रचलन रहा है अब चाहे वो लड्डू बनाकर हो या ‘पात’ बनाकर ही किया जाये।अभी तो भारत {बॉलीवुड} की कई नायिकाओ ने अपने बच्चे के जन्म के बाद घी क सेवन करने से होने वाले लाभों को बताया  है।
  • महिलाओ को जीवन में तीन प्रमुख अवस्थाओं से होकर गुजरना पड़ता है जिनमे मासिक का शुरू होना,गर्भावस्था और रजोवृत्ति इन  सभी अवस्थाओं के समय यदि घी की  मात्रा सही रूप में ली जाए तो यह स्त्री जीवन के लिए किसी वरदान से कम नहीं होगा।
  • स्वभावतः स्त्रिया ज्यादा सोचती है,चिंता करती है और आयुर्वेद में बताया गया है की घी के सेवन से मानसिक शांति मिलती है और मन प्रसन्न रहता है,स्त्रिया अब समझ ही गयी होंगी क्या करना है…. 
  • घी जवानी बनाये रखने में  भी सहायक है जब हमारे शरीर  के सभी अंगों में तैलीयता बनी  रहेगी तो स्वाभाविक  ही है सभी अंग अपना कार्य ढंग से करेंगे जिसके फलस्वरूप हम अधिक समय तक जवान रह सकेंगे। 
  • आयुर्वेद के अनुसार घी जितना पुराना होगा वो शरीर के लिए उतना ही अच्छा होगा। ऐसे लोग जो मद्यपान  से मुक्ति चाहते है उनको पुराने घी का प्रयोग करना लाभकारी होगा  पर साथ में  अपनी इच्छा शक्ति को  भी सुद्रढ़  करना चाहिए। 
  • ऐसा बुखार जो १५ दिन या उससे पुराना हो उसको दूर करने में भी घी, विषेशकर पुराना घी सक्षम है। 
  • आजकल जीवन  की आपाधापी में अवसाद (डिप्रेशन)काफी बढ़ता जा रहा है यहां तक की सभी प्रकार से संपन्न लोग भी ऐसी अवस्था से गुज़र रहे है,घी अवसाद को मिटाने  में काफी सहायता करता है क्योंकि इससे मस्तिष्क में अच्छे एन्ज़ाइम का निर्माण होता है जिससे मन स्वतः ही प्रसन्न रहता है। 
  • आर्युर्वेद के अनुसार बनाया गया आयुर्वेदिक घी, सामान्य घी से १०० गुना तक अधिक हितकर  होता है परन्तु इसकी बनाने की प्रक्रिया लंबी हो जाती है,इसके बारे में  हम अन्य पोस्ट में  बात करेंगे अभी बात करते है जल्दी से तैयार होने वाले घी यानि घुम्मकड़ घी की। 
  • आप सोचेंगे की घी कैसे घुमक्कड़ हो सकता है,क्योंकि यह यात्रा में  हमारे साथ रहकर समय की बचत करेगा खाने को जल्दी बनाने में तथा खाने का स्वाद और पोषण भी बढ़ायेगा। 
  • आप इसको घर में भी  प्रयोग कर  सकते है और खाने का और ज़्यादा ज़ायका बड़ा सकते है। 

बनाने की विधि

सामग्री:

गाय का घी              ५०० ग्राम 

लौंग                        २ न   

साबुत जीरा              ३० ग्राम 

पीसी काली मिर्च         १० ग्राम 

हींग                        १० ग्राम 

करीपत्ता                 १०- १२ पत्तिया 

सैंधा नमक               ७ ग्राम      

  • सबसे पहले कढ़ाई में १०० ग्राम घी गरम करे,जब गरम हो जाये तो जीरा और लौंग डाल दे।
  • अब आंच कम कर दे,करीपत्ता और हींग डाल  दें,थोड़ी देर चलाये  फिर जब करीपत्ता करारे हो जाये तो सैंधा नमक और काली मिर्च डाल  दें।
  • आंच बंद कर के बचा हुआ घी भी मिला दे थोड़ा चला कर घी वाले डिब्बे में बंद कर के रख ले। 

घुमक्कड़ घी तैयार है,यात्रा पर साथ ले जाए, सब्ज़ी बनाने का बहुत समय बचेगा,इसके अलावा खाना खाते  समय उस पर ऊपर से भी डाल कर भी  खा सकते है जैसे खिचड़ी,दलिया,दाल या अन्य आपकी पसंदीदा सब्ज़ी में,यहाँ  तक की मेग्गी में भी डाल कर खा सकते है,अनोखा स्वाद मिलेगा।

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