खाने को जब अधिक देर तक खाने योग्य बनाना होता है तो जरूरी है ऐसी सामग्री का प्रयोग न किया जाये जो खाने को जल्दी ख़राब कर दे उसके विकल्प की खोज करनी चाहिए जैसे टमाटर की वजह से खाना जल्दी ख़राब होने का डर हमेशा बना रहता है इस रेसिपी में टमाटर की बजाय आंवले का प्रयोग किया गया जिससे जल्दी ख़राब होने का डर तो दूर होगा ही साथ ही वास्तव में आंवला गुणों की खान भी है।
सफ़र के खाने का ‘पूरी सब्ज़ी’ एक अच्छा विकल्प है क्योंकि यह खाना ज़्यादा देर तक ताज़ा बना रह सकता है।
खाना यदि स्वाद के साथ साथ पोषण की दृष्टि से भी अच्छा हो तो इससे ज्यादा अच्छा क्या होगा। इस रेसिपी में भी यही कोशिश की गयी है।
इस रेसिपी में प्रयुक्त प्रमुख सामग्री के पोषण के बारे में जान लेते है-
मेथी-मेथी में अच्छी मात्रा में विटामिन और मिनरल्स पाए जाते है। इसमें कई तरह के विटामिन जैसे -विटामिन ए , विटामिन के,विटामिन बी-६,फोलिक एसिड,थाइमिन,नियासिन। इसमें कई तरह के मिनरल्स जैसे- ज़िंक, सेलेनियम और मैग्नीशियम।
मेथी पेट के लिए बहुत अच्छी होती हैं और हमें अच्छी तरह ज्ञात है यदि पेट ठीक रहता है तो सब कुछ ठीक रहता है। मेथी मधुमेह को दूर रखने में मदद करती है। यह हड्डीयो के स्वास्थ्य के लिए भी मदद करती है।
मेथी त्वचा और बालों के लिए भी उपयोगी है।
आवला -संस्कृत भाषा में आंवले को अमृता, अमृतफल कहा गया है क्योंकि यह गुणों की खान है शायद ही कोई ऐसी बीमारी हो जिसमे आंवले का प्रयोग न किया जाता हो।
चरक के मतानुसार आंवला शारीरिक अवनति को रोकने वाला,कल्याणकारी और धात्री (माता के सामान रक्षा करने वाला) कहा गया है।
भारत में वाराणसी का आंवला सबसे अच्छा माना जाता है।
शीत ऋतु में आंवले का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है क्योंकि इन दिनों में इसका सेवन काफी गुणकारी है।
आंवला एक प्रकार से भारतीय आयुर्वेद का मूलाधार भी है।
‘सीताफ़ल -सीताफ़ल में मुख्य रूप से बिटा कैरोटीन पाया जाता है जिससे विटामिन ‘ए’ मिलता है।
यह खून में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करने में सहायक होता हैं और अग्नाशय को भी सक्रिय करता है।
भारत में इसकी कई प्रजातियां पाई जाती है जिन्हे उनके आकर- प्रकार और गुदे के आधार पर मुख्य रूप से सीताफ़ल,चपन कद्दू,विलायती कद्दू,पेठा आदि कई नामो से जाना जाता है.
हमारे यहां विवाह जैसे मांगलिक अवसरों पर कद्दू की सब्ज़ी और हलवा आदि बनाना-खाना शुभ माना जाता है।
उपवास के दिनों में भी इसके बने व्यंजनो का सेवन करने का प्रचलन हमेशा रहा है।
आगरा की प्रसिद्ध मिठाई ‘पेठा’भी ऐसी प्रजाति की सब्ज़ी से बनाई जाती है।
अमेरिका,मैक्सिको,चीन और भारत इसके सबसे बड़े उत्पादक देश है।
बनाने की विधि –
सामग्री –
आटा ५०० ग्राम
कसूरी मेथी ५० ग्राम
रिफाइंड तेल १/२ किलो
सीताफ़ल ४५० ग्राम
आंवला ३ न.
सरसों का तेल १०० ग्राम
सौंफ १० ग्राम
जीरा १० ग्राम
हींग ७ ग्राम
मेथी दाना ५ ग्राम
हरी मिर्च ५ न.
हल्दी १० ग्राम
गुड़ १५ ग्राम
सैंधा नमक
आटे में कसूरी मेथी को मिलाकर थोड़ा सख्त गूँथ ले।
गीले कपडे से ढक कर रख दे।
आँवले के बीज निकालकर बारीक़ काट ले।
ऐसी तरह सीताफल के भी बीजो को अलग करके छील ले और बारीक़ काट ले।
एक पैन में तेल ड़ालकर सौंफ़ और जीरा को तड़कने के बाद चोप किये हुए आँवले डाल कर थोड़ी देर भून ले।
दूसरे पैन में तेल डाल कर मेथी दाना डालें अब हींग डाल कर,कटा हुआ सीताफ़ल और साबुत हरी मिर्च भी डाल दे थोड़ी देर भुनने के बाद हल्दी मिला दे और पानी के साथ गुड़ भी डाल दे और धीमे धीमे पकने दे।
सीताफल नरम होने के बाद पका हुआ आंवला भी इसमें मिला दे।
अब स्वादानुसार नमक डाले। सब्ज़ी तैयार है।
पूरी बनाने के लिए रिफाइंड तेल गरम करे।
आटे को थोड़ा सरसो का तेल मिलते हुए दुबारा से अच्छी तरह गूंधे।
छोटी छोटी लोईया बनाकर पूरीया बनाए।
और खट्टी मीठी सब्ज़ी के साथ खाये।