खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए चटनी का इस्तेमाल बरसों से होता चला आ रहा है। चटनी का अर्थ होता है दो या उससे अधिक चीजों का मिश्रण। आम बोलचाल की भाषा में चटनी या खिचड़ी शब्द का प्रयोग वैसी चीजों के लिए किया जाता है जिसमे आनुपातिक मात्रा का कोई खास ख्याल नहीं रखा जाता। 

 

चटनी मूल रूप से भारत से ही है जिसमे मख्यतः हरी मिर्च और नमक के अलावा अन्य चीजों का खुली रूप में प्रयोग किया जाता है। ज़्यादातर चटनियों के बनाने में हरी मिर्च और नमक के अतिरिक्त अपनी पसंद की किसी भी खास सब्जी को चुना जा सकता है। ज्यादातर कच्ची  सब्जिओ की चटनिया वैसे तो सिलबट्टे पर पीसकर या मिक्सर में पीसकर बनाई भी जा सकती है परन्तु फलो की चटनिया बनाते समय उनका पका होना जरुरी है। 

 

चटनिया बनाते समय जिन मुख्य मसालों का प्रयोग किया जाता है उनमें नमक, जीरा, अदरक, लहसुन, नीबू, इत्यादि प्रमुख है। हमारे अपने और पड़ोसी देशों में चटनी को खाने से पहले ताज़ा तैयार किया जाता है जो आसानी से मिलने योग्य और मौसमी चीजों के द्वारा बनाना पसंद किया जाता है। अमेरिका और यूरोप के देशों में चटनी को मुख्य रूप से फ्रोज़न करके लम्बे समय तक उपयोग में लिया जाता है।

हमारे देश की कुछ लोकप्रिय चटनिया –

चटनिया हमारे देश के लगभग सभी राज्यों में भिन्न भिन्न प्रकार से बनाई जाती है जिनमे  पुदीना की चटनी, टमाटर की चटनी,प्याज़ की चटनी,धनिये की चटनी,आम की चटनी,नारियल की चटनी, लहसुन की चटनी,लाल मिर्च की चटनी आदि प्रमुख है। 

खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए चटनी और सोसेस का उपभोग हर जगह होता है फिर चाहे खाना किसी भी देश का ही क्यों न हो। भारतीय खाने में जहां एक और तमाम तरह की चटनिया है तो वही इटली, थाई, चाइनीज़, या अन्य देशों में सॉसेस या ड्रेसिंग का प्रयोग किया जाता है। 

सादा खाने को भी स्पेशल बनाने में चटनी का प्रयोग महत्वपूर्ण हो जाता है। 

दक्षिण भारतीय खाना तो बिना चटनियों के अधूरा ही है और ये विभिन्न प्रकार की चटनिया सभी को पसंद भी बहुत आती है।

चटनी पोषण की दृष्टि से भी हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि खाने को पकाने में जिस तरह पोषक तत्वों का नुकसान होता है, वैसा चटनिया बनाने में नहीं होता। 

इस रेसिपी में जिन सामग्री का प्रयोग किया गया है वो वर्ष भर और लगभग सभी जगह आसानी से मिल जाने वाली है। 

एक बार इस तरह पराठे बनाने के बाद भी यह काफी देर बाद भी खाया जा सकता है जो पोषण की दृस्टि से भी अभूतपूर्व होगा। 

हमने अधिकतर देखा भी है अक्सर लोग सफर पर जाते समय परांठे ले जाना काफी पसंद करते है क्योंकि ये कई तरह से सफर के दौरान हमारे लिए काफी सुविधाजनक होते है जैसे -परांठो के साथ हमें किसी अन्य  सब्ज़ी की जरुरत नहीं होती,और खाने में भी आसानी रहती है  यहां तक की चलते हुए भी खा सकते है, गरम करने की भी कोई आवश्यकता नहीं है।  

पेट भरने के लिए और स्वास्थ्य एवम स्वाद  की दृष्टि प्रकार से भी परांठे ठीक रहते है। 

परांठो के साथ अचार का अधिकतर प्रयोग किया जाता है परन्तु चटनी परांठो के साथ अचार की भी आवश्यकता नहीं होगी इसके साथ ही ये शरीर को अत्यधिक पोषण देने वाले भी है।

इस रेसिपी में प्रमुख सामग्री के शरीर को मिलने वाले पोषण के बारे में थोड़ी जानकारी ले लेते है-

पुदीना पुदीने को गुणों की खान माना जाता है. साधारण-सा दिखने वाला ये पौधा बहुत शक्तिशाली और चमत्कारी प्रभाव रखता है. पुदीने की पत्ती में कई औषधीय गुण भी मौजूद होते हैं. 

इसका एंटी-बैक्टीरियल गुण भी इसके फायदों में इजाफा करने का काम करता है।बदलते मौसम की वजह से त्वचा का रूखा होना स्वाभाविक है. इस रूखेपन से बचने के लिए रोज के खाने में पुदीना शामिल करें।  इससे भरपूर एंटीऑक्सीडेंट मिलेगा और त्वचा का निखार बरकरार रहेगा । 

पुदीने में पोटैशियम, मैग्नेशियम,कैल्शियम, फॉस्फोरस,विटामिन ए , सी,आयरन की मौजूदगी शरीर के लिए लाभकारी बनाता है। 

पुदीने में मौजूद मेंथोल माइग्रेन के सिरदर्द  को कम करने में मदद कर सकती है। यह संवेदनशीलता, मतली और जी मचलने के लक्षणों को भी कम कर सकता है। 

पुदीने की पत्ती पेट की मरोड़, पेचिश और खट्टी डकारों में भी लाभकारी हो सकती हैं। इससे मोशन की समस्या ठीक हो जाती है और पेट भी साफ रहता है।

पुदीने में मौजूद एंटीमाइक्रोबियल गुण सर्दी-जुकाम और साइनस से लड़ने की क्षमता बढ़ाने में सहायक है। मेंथोल की वजह से आप को महसूस होगा की आप आसानी से सांस ले पा रहे हैं।

कुछ स्टडीज द्वारा पता चलता है कि पुदीना भूख  को कम कर देता है, जिसके कारण आप कम खाएंगे और आपका वजन भी नहीं बढ़ेगा।

हरा धनियाधनिया डाइट्री फाइबर्स का  एक प्रमुख सोर्स है. इसके अलावा इसमें मैगनीज, आयरन, मैग्न‍िशियम भी भरपूर मात्रा में होता है. ये विटामिन सी, विटामिन के और प्रोटीन का भी अच्छा सोर्स है. इसमें थोड़ी  मात्रा में कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटैशियम, थायमिन और कैरोटीन भी पाया जाता है.

ये स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले कोलेस्ट्रॉल को कम करने और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में मदद करता है.

पाचन तंत्र के लिए भी ये विशेष रूप से अच्छा  है, ये लीवर की सक्रियता को बढ़ाने में मदद करता है.

डायबिटीज के मरीजों के लिए भी ये काफी फायदेमंद होता है. ये ब्लड शुगर के लेवल को नियंत्रित करने का काम करता है.

धनिया एक शक्तिशाली प्राकृतिक सफाई करने वाला है। शरीर से भारी धातुओं और जहरीले तत्वों को साफ करने के लिए इसका प्रभावी ढंग से उपयोग होता है।  धनिये का प्रयोग एलर्जी,मूत्राशय की जलन और त्वचा से सम्बंधित एलर्जी की सूजन का इलाज करने के लिए किया जाता है। इससे जीवन शक्ति में सुधार होता है और दर्द घट जाता है। लौहतत्व और विटामिन ए, बी और सी से भरपूर,इसका भोजन में इस्तेमाल होने पर यह पौष्टिक मूल्य बढ़ता है। भोजन की पाचन शक्ति बढ़ जाती है और भूख कम हो सकती है। 

हरी मिर्च-कई तरह के पोषक तत्वों जैसे – विटामिन ए,बी ६,सी आइरन,कॉपर,पोटाशियम,प्रोटीन,और कार्बोहइड्रेट से भरपूर होती है,यही नहीं इसमें बीटा कैरोटीन,क्रिप्टोकसाथिन,लुटेन -जनकस्थिन आदि स्वास्थ्यवर्धक चीजे मौजूद है। 

हरी मिर्च  रक्त वाहिकाओं का रक्षक है  हरी सब्जियों में विटामिन सी और फ्लेवोनोइड प्रचुर मात्रा में होते हैं।

इसलिए, रक्त वाहिका की दीवार की लोच को बढ़ाने के लिए हरी मिर्च बहुत महत्वपूर्ण भोजन है।

हरीमिर्च मेलेनिन उत्पादन को रोक सकता है, उम्र बढ़ने से दूर रख सकता है। 

थकान को दूर करने में हरी मिर्च की महत्वपूर्ण भूमिका होती है,

हरी मिर्च में कैप्साइसिन होता है, यह वसा के चयापचय को बढ़ावा दे सकता है, शरीर में वसा के संचय को रोकता है, वसा को कम करने, वजन घटाने और रोग की रोकथाम के लिए अनुकूल है।

अदरक-अदरक का नियमित सेवन करने से यह आपकी सहनशक्ति को बढ़ाता है। इसका सेवन करने से आपके शरीर में जमा अतिरिक्त वसा कम होती है, जो कि मोटापे का विशेष कारण होता है। अदरक रोज़ खाने से वज़न कम हो सकता है।

पाचन सुधारने के लिए, भोजन करने के बाद अदरक का इस्तेमाल करें।

अदरक में उपस्थित कैडमियम लिवर में होने वाली विषाक्‍तता को कम करने में मदद करते हैं। 

अदरक पसीना निकलने की प्रक्रिया को बढ़ाता है। पसीना निकलने से रोम छिद्र  साफ होते हैं और विषाक्त पदार्थ नष्ट होकर पसीने के साथ बाहर निकल जाते हैं।

लहसुन-प्राचीन इतिहास में लहसुन सिर्फ दवाईया बनाने के काम में ही आता था, आधुनिक  वैज्ञानिक अब ये जानते है की लहसुन स्वास्थ्य के लिए इतना फायदेमंद क्यों है। लहसुन में सल्फर काफी मात्रा में पाया जाता है जो त्वचा के रोगो में और खून को पतला रखने में मदद करता है। लहसुन बेहद पौष्टिक होता है फिर भी इसमें कैलोरी की मात्रा काफ़ी  कम होती है इसके अलावा इसमें मेग्नीश,विटामिन बी ६ ,विटामिन सी,सेलेनियम,फाइबर  भी पाए जाते है। इसके अलावा लहसुन से पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम, कॉपर, पोटैसियम,फास्फोरस, आइरन और विटामिन बी ७ भी मिलता है। 

सत्तू का आटा –सत्तू जैसा कोई भारतीय सुपर फ़ूड नहीं है। सत्तू में प्रोटीन की मात्रा बहुत अधिक होती है। इसके अलावा सत्तू में कैल्सियम,मेग्नीश,मैग्निसियम जैसे तत्व भी होते है जो शरीर के tissue की मरम्मत करते है सत्तू में कार्बोहइड्रेट भी काफी होता है जो शरीर को काफी मात्रा में ऊर्जा देने का काम करता है,जिसके कारण ही सत्तू को एनर्जी का पावरहाउस भी कहते है। सत्तू पेट को ठंडा रखने में साहयता करता है और शभी उम्र के लोगो के लिए फायदेमंद है। 

हींग–बदहज़मी,गैस की समस्या,छाती में दर्द, माहवारी की पीड़ा और अन्य किसी भी तरह के शारीरिक दर्द में दर्दनिवारक की तरह कार्य करती है। 

जीराजीरे में विटामिन सी , विटामिन-के,विटामिन बी  1, 2, 3, विटामिन-ई, प्रोटीन, कैल्शियम, मेग्नेशियम, पोटेशियम, जिंक, कॉपर, आइरन , कार्बोहाइड्रेट जैसे तमाम तत्व पाए जाते हैं।

काला नमक एसिडिटी व अन्य अपच में,पेट दर्द में लाभदायक है। 

सैंधा नमक शारीरिक दर्द और स्ट्रेस में बहुत उपयोगी है।

बनाने की विधि

सामग्री: { ६ पराठे के लिए}

 

आटा (मल्टीग्रेन) ५०० ग्राम 

सैंधा नमक  स्वादनुसार 

काला  नमक स्वादनुसार 

आमचूर्ण  १० ग्राम   

पुदीना  १०० ग्राम 

हरा धनिया १५० ग्राम 

हरी मिर्च २५ ग्राम 

अदरक २५ ग्राम 

लहसुन २०ग्राम

प्याज़ १००ग्राम 

सत्तू का आटा -१००ग्राम

हींग    ५ग्राम

जीरा  १५ग्राम

देसी घी १००ग्राम

आटा को थोड़ा सा सैंधा नमक डालकर गूँथ ले। 

पुदीना की पत्तिया तोड़कर,और धनिया को अच्छी तरह  धोकर बारीक़ काट ले। हरी मिर्च को भी बारीक़ बारीक़ काट ले। ऐसी तरह अदरक, लहसुन और प्याज़ को भी बारीक़ काट ले।  

जीरा को गरम तवा पर भुनने के बाद बेलन से बारीक़ क्रश  कर ले। 

अभी एक बाउल में पुदीना,धनिया हरी मिर्च,अदरक,लहसुन,प्याज़,आमचूर्ण, और सैंधा व काला नमक बराबर मात्रा में डाल कर  मिला ले। 

थोड़ी देर में ये सब्जिया पानी छोडेंगी तब सत्तू का आटा डालकर टाइट कर ले और छोटी छोटी गोलिया बना ले। 

आटे की बराबर मात्रा में लोई बना ले। इस लोई के अंदर एक सब्जी की गोली भरकर बेल ले। 

मध्यम आंच पर दोनों तरफ से पूरी तरह सेंक लेने के बाद ही घी लगाए और तुरंत ही आंच से उतार ले (घी पकने के बाद लगाए न कि  घी लगाकर पकाये )

इसी तरह अन्य लोइयों को भी भरकर पकाकर ही घी लगाए। 

पराठे तैयार है आपके  सफर को खुशनुमा बनाने के लिए।

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