भारत इतनी विभिन्नताओं वाला देश है कि थोड़ी थोड़ी दूर चलने पर लगता है कितना कुछ बदल गया।
एक कहावत भी हमारे देश को कितनी अच्छी तरह परिभाषित करती है- “कोस कोस पर बदले पानी चार कोस पर बानी” इसका तात्यपर्य लगभग प्रत्येक ३ किमी में हमारे यहाँ पानी का स्वाद और लगभग १२ किमी में बोलचाल की भाषा बदल जाती है।
ठीक इसी तरह खाना भी बदलता रहता है,पर कुछ चीजे है जो लगभग हर राज्य में किसी न किसी रूप में मौजूद है उनमे से जो प्रमुख है वह है खिचड़ी।
खिचड़ी,खिचुरी,खिचरी,किसुरी,बिसी बेले भात ,पोंगल आदि विभिन्न रूपों में हमारे देश में बनाई जाती है।
शायद इसीलिए पकवानो की इतनी विभिन्ताओं के बाबजूद खिचड़ी को लोगो ने राष्ट्रीय डिश भी माना है और भारत सरकार ने भी इसका प्रचार प्रसार “सभी खाध्य पदार्थो की रानी” (Queen of all foods) के रूप में किया है।
गुजरात में जहां खिचड़ी को कढी के साथ,वही बंगाल में बैगन या अंडा के साथ खाया जाता है जबकि हरियाणा में घी और लस्सी के साथ।
बिहार में खिचड़ी को गरम मसलो के साथ पकाया जाता है तो वही दक्षिणी भारत में काली मिर्च के साथ।
शायद हम में से ज़्यादातर लोगो ने माँ के दूध के बाद जब पहली बार कुछ खाया था तो पूरी उम्मीद है,खिचड़ी ही होगी,क्योंकि सामान्यतयः बच्चे का पहला भोजन खिचड़ी ही होती है,क्योंकि यह बहुत सुपाच्य है। इसी सुपाच्यता के कारण बीमारी में अधिकतर लोगो को खिचड़ी खाने की सलाह दी जाती है।
खिचड़ी पाचन में आसान होने के कारण पेट में समस्या होने के बावजूद खायी जाती है,खासकर अतिसार (दस्तो)में खिचड़ी का सेवन बहुत अच्छा रहता है।
हमने अधिकतर एक कहावत सुनी होगी “बीरबल की खिचड़ी” इस से हमें मालूम चलता है हम कितने वर्षो से खिचड़ी खा रहे है।
अकबर से पहले भी खिचड़ी का जिक्र सेल्यूकस,इबनबतूता ने भी किया है।
इस रेसिपी में खाद्य वस्तुओँ का इस तरह प्रयोग किया गया है ताकि यह जल्दी से ख़राब न हो।
यदि आप आगरा से अजमेर जा रहे है तो सुबह नाश्ते में आगरा में बनाए और शाम को डिनर में अजमेर में खाये और चाहे भले ही आप जयपुर में लंच में भी खाये आप को भरपूर स्वाद और प्रोटीन मिलेगा और अन्य पोषक तत्व भी।
इसके अलावा यह आपकी सेहत के लिये भी अति उत्तम रहेगी रास्ते भर आपके पेट का ख्याल रखेगी और जिससे वास्तव में आपका सफर सुहाना होगा।
बनाने की विधि
सामग्री
साबुत हरी मूंग दाल १ कप
धूली मूंग दाल १/२
काला चना १/२ कप
चावल(बासमती टुकड़ा) १.१/२ कप
घी १/२ कप
जीरा २ टी स्पून
राई १/२ टी स्पून
हींग १/२ टी स्पून
गाजर १०० ग्राम
बीन्स १०० ग्राम
आलू १ न.
हरी मिर्च २ न.
हल्दी १.१/२ टी स्पून
काला नमक १/२ टी स्पून
सैंधा नमक स्वादानुसार
हम यहां कुकर का प्रयोग नहीं कर रहे है क्योंकि कुकर या एल्युमीनियम के बर्तनो में खाना बनाना शरीर के लिए हितकर नहीं है
इसलिए चन्ना,चावल और दालों को ४ घंटे पहले अच्छी तरह धोकर भिगो कर छोड़ देते है।
गाजर, बीन्स को बारीक़ काट लेते है और आलू को थोड़ा मोटा ही काटते है।
पतीले को माध्यम आंच पर रखकर घी डाले ,गरम होने पड़ जीरा फिर राई,हींग उसके बाद हरी मिर्च को हाथ से तोड़कर ही डाल देते है।
अब कटी हुई सब्जिया डाल कर थोड़ा भूनते है फिर हल्दी डाले।
अब दाल, चना, चावल जो भीगे हुए थे डाल देते है और लगभग ५ कप पानी डाल देते है,काला नमक डाले।
थोड़ी देर बाद सैंधा नमक स्वादानुसार डाले।
अब पतीले को ढक कर जब तक पकाते है जब तक दाल, चावल अच्छी तरह गल न जाए।
पानी की मात्रा कम ज़्यादा कर सकते है (आपको कितना पतला या गाढ़ा खाना पसंद है ) खिचड़ी ठंडा होने पर स्वयं भी काफी गाढ़ी हो जाती है ख्याल रखे।
खिचड़ी तैयार है गरमागरम खाए और ठंडी करके पैक करे।
आप जब भी इसको खाए तो इस पर ऊपर से घुमक्कड़ घी डाल कर खाएंगे तो आपको अतुलनीय स्वाद मिलेगा।
इसके अलावा याद रखे “खिचड़ी के है चार यार पापड़,खीरा,दही,अचार”।
पापड़ आपको करारापन वही खीरा और दही इसका पोषण और बढ़ाएंगे और अचार से आप खाने का नमक मिर्च बैलेंस कर सकते है।
इस रेसिपी में सब्जियों जैसे प्याज़,टमाटर,गोभी आदि का प्रयोग नहीं किया गया है क्योंकि इनको डालने से जल्दी ख़राब होने का डर रहता है और हमारी खिचड़ी तो ख़ानाबदोश है सुबह यहां तो शाम को कही और।
यदि घर पर बनाना है तो जितनी भी पसंद की सब्जिया है सब को डालो क्योंकि सब चलता नहीं, डलता है (खिचड़ी जो ठहरी ) और ज्यादा पोषण मिलेगा।
और एक बात याद रखे “कम खाये पर अच्छा खाये”